गौर से सुनो मेरी जुबानी, आज की सुबह बहुत सुहानी : दीपक अग्रवाल

| January 13, 2015 | Tags:

गौर से सुनो मेरी जुबानी, आज की सुबह बहुत सुहानी, फिर से तैयार में हो गया, रोजाना की यही कहानी। माता पिता का आर्शीवाद लेना, पत्नि का प्यार से टिॅिफन देना, बच्चो का वो चिल्लाना, पापा शाम को जल्दि आना। घर से आॅफिस के बिच दूरी, पुरे तीस किलोमीटर है, सुरज ऐसे जल रहा है, […]

Money- Bliss or Curse…???: Deepak Agrawal

| January 4, 2015 | Tags:

Paper, whether it’s a newspaper, a notebook paper, a xerox paper, a pemphlet paper, an advertisement paper or any paper which we use daily either gets dumped into the dustbin or gets recycled to gain new life in any of the form. But…there is one paper which never gets dumped into the dustbin and gets […]

मुझमे भी आत्मा बस्ती है: दीपक अग्रवाल

| December 22, 2014 | Tags:

मुझमें भी आत्मा बसती है- जन्म जिसने दिया मुझे, कहती हूँ उन्हें भगवान्, यहाँ आकर देखा मेने, ऐसे भी होते है हैवान | देखते हो तुम ऐसे मुझको, जेसे तुम्हारी कोई बहन नहीं, पल-पल, डर-डर के जीती हूँ, अब होता मुझसे सहन नहीं | में भी एक मनुष्य हूँ, मुझमे भी आत्मा बसती है, नारी […]