पालिका और वनविभाग आपस में उलझे – उपखण्ड अधिकारी ने देखी कार्य की गुणवत्ता


| December 19, 2016 |  

gaurav agrawal sdm mount abu

प्रदेश की सबसे धनी नगर पालिका में टोलनाके से प्राप्त होने वाले टेक्स को लेकर नगरपालिका और वनविभाग आपस में उलझे हुए नजर आये पालिका और वनविभाग के अधिकारियों की गर्मागर्मी के बीच आरंभ हुई विकास कार्यों की गुणवत्ता की जांच। दोनो विभागो के मध्य माउंट आबू प्रवेशद्वार स्थित टोलनाके से प्रवेश शुल्क के रूप में अर्जित होने वाले राजस्व के तीस फीसदी राशि को लेकर हुई। वन विभाग द्वारा टेक्स से मिलने वाली राशि को हिस्से की मांग के बाद ये नजारा देखने को मिला और उपखण्ड अधिकारी गौरव अग्रवाल ने वन जीव अभ्यारण क्षेत्र मे हुए कार्य की गुण्वत्ता को देखा ।

यात्रीकर नाके से प्राप्त राशि से तीस फीसदी हिस्सा आबू पर्यावरण समिति के खाते में जमा होता है लेकिन लंबे समय से पालिका द्वारा तीस फीसदी राशि जमा नहीं करवाने से वनविभाग खफा था। इसी बात ने आगे आग पकड़ ली। जिसके तहत पूर्व में दी गई राशि से विकास कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोप से लेकर कार्यों मेंं उपयुक्त की गई घटिया सामग्री की गुणवत्ता को लेकर दोनों पक्ष आमने-सामने हो गये।

गत दिनों पालिका आयुक्त के नाम टोल नाके से प्रवेश शुल्क के रूप में पालिका द्वारा अर्जित राशि का ३० प्रतिशत बकाया रकम ब्याजसहित १३ करोड़ ३० लाख ६७ हजार ५३० रुपये की राशि आबू पर्यावरण समिति के खाते में भुगतान जमा करवाने के लिए पत्र जारी किया। इस बात की डीएफओ से चर्चा होने पर उन्होंने बताया कि पूर्व में दी जाने वाली राशि से विकास कार्य आबू पर्यावरण समिति की स्वीकृति के बाद करने थे।

और जो भी इस मद में विकास कार्य किए हैं उनकी नियमानुसार कोई स्वीकृति नहीं ली गई है तथा वनविभाग को दी जाने वाली राशि की यू.सी. प्राप्त नहीं हुई है। विभाग से उस राशि का कहां और किस रूप में उपयोग किया गया है उसकी जानकारी ली जानी चाहिए। जिस पर डीएफओ ने बताया कि राशि का कहां उपयोग हुआ है उसका विभाग के पास पूरा रेकार्ड संधारित हुआ है। जो नियमानुसार दिखा दिया जाएगा। जिसको लेकर आज जांच की गई जिस पर स्वयं एसडीएम, डीएफओ श्रीवास्तव, पालिका एटीपी चंद्रेश्वर प्रसाद सहित पालिका व वनविभाग के कर्मचारी टे्रवरटेंक की सडक़ की मरम्मत व छतरियों आदि को देखने गए।

जहां विकास कार्यों का भौतिक सत्यापन करना तय हुआ। अपराहन में एटीपी प्रसाद, कनिष्ठ अभियंता सर्वेश मीणा, पीडब्लयूडी सहायक अभियंता संजीव कुमार संचेती अपनी टीम के साथ वहां पहुंचे। जहां वनकर्मियों के साथ मौजूद डीएफओ श्रीवास्तव ने पालिका अधिकारियों व कर्मचारियों को बिना स्वीकृति के अभ्यारणय क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं होने का हवाला देते रोक दिया। जिस पर वे स्वयं मौके पर पहुंचे तथा सडक़ मरम्मत के उपयोग में लाई गई घटिया सामग्री की गुणवत्ता की जांच कार्य आरंभ किया गया।

दूसरी ओर डीएफओ श्रीवास्तव ने कहा कि वनविभाग आबू पर्यावरण समिति के जरिए प्रवेश शुल्क के तीस फीसदी हिस्से का नियमानुसार मांग कर रहा है। जिससे ध्यान हटाने को लेकर प्रशासन और पालिका ने नया प्रोपोगंडा आरंभ कर दिया गया है। उपखंड अधिकारी के पास पालिका आयुक्त का भी कार्यभार होने की वजह से वे पक्षपात कर रहे हैं। वनविभाग को डराकर ब्लैकमेल करना चाहते हैं। लेकिन वनविभाग अपनी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। वनविभाग एनजीटी व न्यायालय में जाएगा। सेंचुरी में कोई भी बिना अनुमति के प्रवेश नहीं कर सकता है। यह अधिनियम में स्पष्ट तौर पर वर्णित है। डीएफओ ने यह भी कहा कि माउंट आबू के सीवरेज से निकलने वाले गंदे पानी को वन्यक्षेत्रों में नहीं जाने दिया जाएगा। क्योंकि उससे वन और प्राणियों को नुकसान हो रहा है। इस पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।

 

 

Comments box may take a while to load
Stay logged in to your facebook account before commenting

[fbcomments]

Participate in exclusive AT wizard

   AT Exclusive    Writers   Photography   Art   Skills Villa