बत्तीसा नाला सिरोही को मिला वरदान, कांग्रेस चाहती है बहती गंगा में धोना हाथ


| March 11, 2016 |  

मुख्यमंत्री बजट घोषणा के बाद श्रेय लेने को भाजपाईयों में खींचतान

प्रदेश की मुख्यमंत्री श्रीमति वसुंधरा राजे द्वारा मौजूद विधान सभा के बजट सत्र में देश की आजादी के बाद सिरोही जिले में पेयजल समस्यां के स्थाई समाधान के लिए गुजरात का पानी सिरोही से गुजरात में जाने से रोकने के लिए बत्तीसा नाला परियोजना में 213 करोड रूपये के बजट आवंटन से जिले की जनता में हर्ष की लहर है, वहीं भाजपा के जनप्रतिनिधि एवं नेताओं के समर्थक सोशल मीडिया और विज्ञापनों में जिस तरीके का प्रदर्शन श्रेय लूटने की होड मे कर रहें है उसका फायदा जीर्ण-शीर्ण हालत में आ चुकी कांग्रेस के पदाधिकारी भाजपाईयों पर आरोप मड बत्तीसा नाला पर खुदा का हक जताना चाहते है।

इस फेर में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना के अन्तर्गत चल रहें कार्याे पर न तो जनप्रतिनिधियों की मॉनेटरिंग है ना ही जिले के मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना से जुडे हुए नॉडल अधिकारी एवं कार्यकारी एजेन्सी इस बाबत ध्यान दे रही है कि कार्य चल रहें है या नही,अगर ऐसी ही स्थिति रही तो बत्तीसा नाला परियोजना एवं मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना के परिणाम प्रभावित होंगे,जिसका खामियाजा जिले की जनता को भुगतना होगा।

प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछ़ले दो लोक सभा एवं विधान सभा चुनावों में भाजपा के सांसद एवं तीनों विधानसभा सीटों पर सबसे बडा मुद्दा सिरोही में नर्मदा जल लाने को लेकर था तथा चुनावी दौरे में आई मुख्यमंत्री श्रीमति राजे ने भी सिरोही के रामझरोखा मैदान व जावाल की जनसभा में नर्मदा का पानी जिले में लाने का वायदा किया था,उसके बाद सांसद देवजी पटेल ने तो जिले मे नर्मदा का पानी आएगा के मुद्दे का यह कहकर किनारा कर दिया कि सांचौर में अगर तीसरा गेट खुलता है तब सिरोही के लिए संभावना बनती है कि नहर द्वारा नर्मदा का पानी लाया जा सकता है। लेकिन बत्तीसा नाला का पानी जो बारिश के दौरान बहकर गुजरात चला जाता है,उसको अगर बांध बनाकर रोका जाए तो उससे आबूरोड शहर, आसपास के गांवों तथा नहरों द्वारा पानी पिंडवाडा, रेवदर व सिरोही तहसील की जनता के लिए पेयजल व कृषि क्षेत्र में उपयोगी साबित हो सकता है,जिसको लेकर उन्होंने सत्त केन्द्र सरकार मंत्रियों एवं प्रदेश की मुख्यमंत्री से संवाद बनाए रखा।

इसी दौरान गत गर्मियों में सिरोही जिले के बिगडे हुए भयावह पेयजल संकट के हालातो को लेकर नर्मदा व बत्तीसा नाला की मांग उठ़ी व स्वयं सेवी संस्था दी हिन्दू वेव ने जिले के दौरे पर आए जल संसाधन मंत्री रामप्रकाश एवं जलदाय मंत्री किरण माहेश्वरी को पेयजल समस्याओं को लेकर ज्ञापन देने के बाद 30 जून से हिन्दू वेव के संयोजक हरीश दवे ने जन सहयोग से चार दिन तक आमरण अनशन किया तथा समझौते में जिला कलेक्टर उनकी पांच मांगों माने जाने के साथ बत्तीसा नाला के विषय में राज्य सरकार को प्रभावी रिपोर्ट भेजने के लिए आश्वस्त किया।

इसी दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी,जिले के प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी, विधायक समाराम गरासिया, विधायक जगसीराम कोली एवं जिला प्रमुख पायल परसरामपुरिया लगातार प्रदेश की मुख्यमंत्री,जलदाय मंत्री एवं राज्य सरकार पर दबाव बनाते रहें साथ ही जिला कलेक्टर ने भी राज्य सरकार को इस योजना की वस्तुस्थिति व इससे होने वाले फायदे बाबत् राज्य सरकार को अवगत कराया,इसी का परिणाम है कि मुख्यमंत्री राजे ने बजट आवंटन में सिरोही जिले को बत्तीसा नाला परियोजना के लिए 213 करोड आवंटित किए।

बत्तीसा नाला सिंचाई परियोजना पर बनने वाले बांध की भराव क्षमता 573 एमसीएफटी होगी,बांध की ऊंचाई 31.50 मीटर और लंबाई 655 मीटर होगी,जिसमें 273 एमसीएफटी पानी पीने के काम मे लिया जाएगा। जबकि 300 एमसीएफटी पान सिंचाई के काम में जाएगा। बांध का कैचमेट एरिया 173.57 वर्ग किलो मीटर होगा।

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वर्ष 2007-08 में हुई थी वित्तीय स्वीकृति जारी
-बत्तीसा नाला परियोजना के प्रारंभिक सर्वे के लिए वर्ष 2007-08 में 4.99 लाख रूपये की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की गई थी,तत समय भाजपा जिलाध्यक्ष विनोद परसरामपुरिया व पूर्व विधायक संयम लोढा इस योजना को जिले मे लाने के लिए दौड-भाग अवश्यक कर रहें थे,तब परियोजना पर 185.04 करोड रूपये की लागत की आकी गई थी,इसके लिए विभाग ने प्रशासनिक तकमीना एवं हाईड्रोलोजिक गणना तैयार कर जांच के लिए मुख्यालय को भेजा था,वहीं मुख्यमंत्री श्रीमति राजे ने बजट में इस परियोजना के लिए जन भावनाओं को ध्यान मे रख 213 करोड रूपये जारी किए। इससे पूर्व वर्ष 2004 में भू-मापन खंड पाली के एक्सीएन ने इसकी फिजिबल रिपोर्ट तैयार की थी,इसके बाद सिरोही खंड ने वर्ष 2006 में इसके संरक्षण की पैरवी की,वर्ष 2006 की विभागीय बीएसआर पर इसकी लागत 66.86 करोड आंकी गई थी। देरी की वजह से वर्ष 2011 में यह बढकर 148.89 करोड हो गई,वहीं वर्ष 2014 में इसकी लागत 185.4 करोड पहुंच गई और आखिरकार वर्ष 2016 के बजट में जब राज्य सरकार ने इसके लिए बजट जारी किया तो यह 213 करोड तक पहुंच गई।

लीडरशीप के अभाव में जिले को योजनाओं का नही मिला फायदा
सिरोही जिले के लिए माही और सेही डेंप से जिले में पानी लाने का मुद्दा वर्षाे से उठता रहा,लेकिन केन्द्र सरकार में जिले का प्रतिनिधित्व अपनी बात नही रख सका,इसलिए माही व सेही का पानी 60 के दशक से जिले को मिलने की संभावना और सर्वे भी हुए तथा नर्मदा नहर से सिरोही को पानी मिलने मे 129 गांव चिन्हित किए एवं नहर से पानी आएगा। यह झुमला गत दो चुनावों में छाया रहा,आखिरकार बत्तीसा नाला परियोजना की घोषणा सिरोही के लिए एक वरदान साबित हो सकती है।

श्रेय लेने की होड
बजट घोषणा के साथ ही समाचार पत्रों में विज्ञापनवार छिड गया,कोई इसे सांसद देवजी पटेल की उपलब्धि बता रहा है तो कोई इसे प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी की उपलब्धि बता रहा है तथा आबूरोड,यूटीआई चैयरमैन की लडाई में सांसद व विधायकों का आशीर्वाद पाने में विज्ञापनों में दिए नामों व फोटों से भाजपा की राजनीति में भूचाल आ गया और सोशल मीडिया मे भाजपा नेताओं के समर्थक एक दूसरे को ही कोसने लगे,जिसका फायदा उठाकर कांग्रेस के नेताओं ने भाजपाईयों पर आरोप लगाते हुए विवादित प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सवाल खडे किए। इन सब प्रकरणों पर जिला प्रमुख पायल परसरामपुरिया ने कहा कि बत्तीसा नाला परियोजना जनता की भावनाओं एवं भाजपा की लगातार मांग के बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा सिरोही जिले की जनता को दिया आशीर्वाद है। हमें खुश होना चाहिए कि जिले में पेयजल समस्यां का स्थाई समाधान हो सकता है और इस योजना को लाने में सभी जनप्रतिनिध,जनता व जन भावना का सहयोग रहा।

जिले मे मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना कागजों में जोरदार चल रही है तथा काम भी हो रहें है,लेकिन गत दिनों कृष्णगंज तालाब में प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी व प्रशासनिक अधिकारियों ने श्रमदान कर तालाब खुदाई का जो काम किया था वो रस्म अदायगी बन गया,उसके बाद कृष्णगंज मे काम ठप पडा है तथा तालाब में ना तो अतिक्रमण हटे ना ही दानदाताओं की मिली राशि का सदुपयोग हुआ। यह मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना पर प्रश्न चिन्ह है।

संपादक
हरीश दवे, सिरोही

 

 

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