माउण्ट आबू के आर्षगुरुकुल महाविद्यालय के पच्चीसवां वाॢषकोत्सव सम्पन्न


| June 1, 2015 |  

माउण्ट आबू – देलवाड़ा स्थित आर्ष गुरूकुल महाविद्यालय का 25 वां वार्षिकोत्सव परम्परानुसार विभिन्न कार्यक्रमों के गुरुकुल के ब्रह्मचारियों के हेरत अंगेज अंग-कसरत के दाव, रस्सा पर विविध आसन, मल्लखंभ पर दाव, परामिड वगेरह विविध आश्चर्य जनक कार्यों के प्रदर्शन सम्पन्न हुआ । इस अवसर पर देश के विविध प्रान्तों से पधारे हुए संस्कृत के अध्यापकों के साथ साथ काफी संख्या में जन-समूह उपस्थित था ।

अध्यापकों ने तथा अन्य ने गुरुकुल के छात्रों के व्यायाम प्रदर्शन को देख कर प्रसन्नता व्यक्त की तथा छात्रों को पारितोषिक दे कर प्रोत्साहित किया । इसी क्रम में चल रहा संस्कृत अध्यापकों के सम्मेलन का समपन्न हुआ । इस समापन समारोह में देश के विभिन्न प्रान्तों से आये हुए पच्चीस संस्कृत के अध्यापक तथा अध्यापिकाओं का गुरुकुल की ओर से स्वामी धर्मानन्द जी ने सम्मान पत्र दे कर सम्मान किया गया ।

इस अवसर पर मुम्बई से पधारी हुई गीता के$ गांधी ने बताया कि संस्कृत व्याकरण शास्त्र के अध्यापन कार्य में सिद्धान्तकौमुदी की अपेक्षा अष्टाध्यायी क्रम अधिक सरल है । गुरुकुल में जिस अष्टाध्यायी क्रम से संस्कृत व्याकरण पढाया जा रहा है, उसी क्रम से स्कूल-कोलेजों-महाविद्यालयों में पाणिनीय व्याकरण शास्त्र पढाया जाना चाहिये । आप आज कल मुम्बई में आई$आई$टी$ के छात्र, डोक्टर, इन्जीरियर तथा व्यवसायी प्रौढ-जनों को पाणिनीय संस्कृत व्याकरण का अध्यापन करवा रहीं हैं । गुरुकुल के छात्र ब्रह्मचारी हरिकेश ने भरी सभा में अष्टाध्यायी की शलाकापरीक्षा दी ।

molunt-abu-aarsh-gurukul-25

उपस्थित लोगों ने इस देख कर प्रसन्नता व्यक्त की तथा पारितोषिक दे कर प्रोत्साहित किया । प्रात: सायं सम्पन्न हुए यज्ञों में ब्रह्मा के रूप में दिल्ली से पधारे हुए पं$ चन्द्रशेखर शास्त्री विराजमान रहे । उन्होंने बताया कि किसी का ऋण अपने उपर रखना ठीक नहीं है । इस कारण हम लोग सजाग रह कर किसी से लिये हुए ऋण को चुकाने में सर्वदा तत्पर रहते हैं । परन्तु क्या कभी हमने यह सोचा कि अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी तथा आकाश ऽ इन पंच महाभूतों का भी हमारे पर ऋण है । इस ऋण से उर्ऋण होने के लिये क्या हम कभी कोई प्रयत्न करते हैं ।

हमारे ऋषि-मुनियों ने इस यज्ञकर्म का प्रवर्तन करके हमें इन पंचमहाभूतों के ऋण से उर्ऋण होने का उपाय सुझाया है । अत: यदि हम पंचमहाभूतों के ऋण को चुकाना चाहते हैं, तो यज्ञ अवश्य करना चाहिये । वाॢषकोत्सव के अन्तिम दिन आज गुरुकुल में प्रवेशेच्छुक छात्रों की प्रवेश परीक्षा भी सम्पन्न हुई ।

News Courtesy: Kishan Vaswani

 

 

Comments box may take a while to load
Stay logged in to your facebook account before commenting

[fbcomments]

Participate in exclusive AT wizard

   AT Exclusive    Writers   Photography   Art   Skills Villa