8 पर्वतारोही हिमालय के मानेरंग पीक की 21 हजार 630 फीट की उचाई पर चढाई कर वापस लौटे


| September 11, 2015 |  

माउन्ट आबू के स्वामी विवेकानंद पर्वतारोहण संस्थान में प्रशिक्षण हासिल कर 8 लोगो ने हिमालय के मानेरंग पीक पर सफलता का झण्डा लहराया है। गौर हो कि स्वामी विवेकानंद पर्वतारोहण संस्थान गुजरात एवं गुजरात सरकार के सयुक्त तत्वाधान में आयोजित प्रशिक्षण शिविर से इन 8 लोगो ने कडी मेहनत कर कई दिनों तक प्रशिक्षण प्राप्त किया और हिमालय की उस चोटी तक जा पहुचे जिसकी उचाई समुन्द्रतल से 21630 फीट थी।

हिमालय की इस उची दर्गुम चोटी पर चढाई करना कोई हसी खेल नहीं था लेकिन इस हिमालय ऐक्सेपेडेशन के टीम लीडर पर्वतारोही भ्रदेश ठक्कर की अगुवाई और सभी पर्वतारोहीयो के हौसेल और जाबांजी से यह सफर आसान हो गया। यह टीम आज माउनट आबू स्वामी विवेकानंद पर्वतारोहण संस्थान पहुची जहां पुलिस उपमहानिरीक्षक डां डी जे सिंह, संस्थान की प्राचार्य चावला जागीरदार, जाने माने अंतराष्ट्रीय पर्वतारोही रामजनम मिश्रा और अन्य जाने माने पर्वतारोहीयो के बीच इन्हे भारत का सफलता का फलेग प्रदान किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डी जे सिंह ने कहा कि अभियान तभी सफल होता है जब हम सुरक्षित लौट जाये यह सबसे बडी कामयाबी मानी जाती है।

1991 में मैने भी चावलाजी से प्रशिक्षण प्राप्त किया था और हिमालय की 18500 फीट पीक पर जाने का मौका मिला इसलिए मुझे मालूम है कि ऐसे एक्सपेडीशन में क्या क्या कठिनाई होती है और इस टीम ने जहां अपना मिशन पूरा किया एक को भी चोट वगैरह नही लगी और दो महिलाओ ने भी इसमें सफलता हासिल की यह बडी बात है। विद्यालय की प्राचार्य चावला जागीरदार ने इस एक्सपेडीशन की सफलता पर सभी को बधाई दी और कहा कि इसकी सफलता हम सभी की सफलता है। इस मिशन में 21 हजार 630 फीट की उचाई को छूकर यह टीम बधाई की पात्र है।

इस अवसर पर जाने माने अन्तराष्ट्रीय पर्वतारोही रामजनम मिश्रा ने कहा कि कामयाबी तभी होती है जब हम सफल होकर आए। सफल होकर लौटना भी काफी मुश्किल होता है। उपर चढना एक मिशन होता है लेकिन नीचे लौटना भी खतरे से खाली नही रहता। मिशन लीडर भद्रेश ठक्कर ने पूरे मिशन के बारे में जानकारीदी।

इस विजय अभियान की शुरूआत माउन्ट आबू में तब हुई जब भ्रदेश ठक्कर के नेतृत्व में सभी 8 पर्वतारोही माउनट आबू से 17 अगस्त को रवाना हो गये। 15 अगस्त को माउन्ट आबू में फलेग आॅफ सेरेमनी का आयोजन किया गया था। इन्होने हिमालय पर चढाई 21 अगस्त को शुरू की और 2 सितम्बर को 21650 फीट की उचाई पर यह टीम मानेरंग पीक पर पहुची। सर्वप्रथम दीपक सोलंकी और कल्पेश पटेल ने पहुचकर वहां अपना झंडा फहराया। कामयाबी का झंडा गाडने के लिये ये 15 दिनों में लगातार हिमालय की चोटी पर चढते रहे और आखिरकार अपना लक्ष्य पूरा कर सफलता के झण्डे गाड दिये।

इस टीम में दीपक संोलकीं कल्पेश पटेल, शब्बीर मेहता, जयेश रामावत, हिरेन राजपूत, केतन जुंगी, नरेन्द्र सिंह, सुनील रावल शामिल थे। दुर्गम चोटी की चढाई के दौरान इनके सामने कई बाधाएं आई लेकिन ये रूके नहीं अपनी मंजिल की तरफ बढते रहे। काफी बर्फीले तूफान ने इनका रास्ता रोका तो कभी पथरीले और नौकीले पहाडों ने इनके पर्वतारोहण के क्रम में मुश्किले पैदा की तो कभी बारीश और तूफान के मौसम में इनकी चढाई पर विराम लगा दिया लेकिन हौसलों और जज्बो की वजह से अति दुर्गम और कठन सफर आखिरकार 15 दिन में तय हो गया।

इनके एक मायने यह भी है कि औसत के हिसाब से देखा जाए तो इस दल ने तकरीबन हर रोज 1400 फीट का फासला तय किया। इस दल के लिये इतनी दुर्गम पहाछी पर पर्वतारोहण का पहला मौका था लिहाजा यह अदभुत कामयाबी इनके लिये ख्ुाशियों का सबब बनी है। टीम लीडर ने बताया कि प्रतिदिन 4 घन्टे लगातार चढाई करते थे लेकिन जब सफलता का अखिर दिन था तो इस टीम ने 10 घन्टे तक लगातार चढाई की और सफलता का झण्डा गाडां।

 

 

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