माउंटआबू के सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर में एक से तीन मार्च तक 72 वां पाठोत्सव होगा आयोजित


| February 28, 2017 |  

। हजारो श्रद्वालुओं का आना शुरू। 3 मार्च को बंद रहेगी आबू रोड तहसील। स्कूल व सरकारी कार्यालय भी रहेंगे बंद। श्रद्वालुओं के लिये नगरपालिका वाहन कर रहेगा माफ।

माउंटआबू में भगवान राम का अनोखा उत्सव यानी 72 वां पाठोत्सव मंहत डां सिया वल्लभदासजी महाराज के सानिध्य में इस साल एक से तीन मार्च तक आयोजित होगा। इस बीच यहां श्रद्वालुओ, देश विदेश से संतों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है। तीन दिनों तक चलनेवाले इस उत्सव के दौरान भगवान राम की सवारी पूरे शहर की परिक्रमा करती है। भगवान राम की परिक्रमा का यह अनोखा उत्सवर माउंटआबू में हर साल मनाया जाता है। भगवान राम की भक्ति की धारा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से संतों की जमात यहां जुटने लगी है। इस बार भी देश में रामपंथ के सबसे बड़े संत जगदगुरु स्वामी रामानंदाचार्य जी महाराज श्रीमठ पंचगंगा काशी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। वह पिछले साल भी इस अद्भुत समारोह में शामिल हुए थे। इस बार भी इस समारोह को धूमधाम से मनाए जाने की तैयारी प्रशासन और मंदिर परिसर ने कर ली है।

दुनिया में भगवान राम सिर्फ एक जगह अकेले हैं यानि उनकी मूर्ति के साथ न तो उनकी पत्नी सिया है और नही उनके छोटे भाई लक्ष्मण।माउंटआबू का रघुनाथ जी का ये मंदिर दुनिया का इकलौता मंदिर है जहां भगवान राम अकेले हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम इन दिनों माउंटआबू की नगरी में अवतरित हो गये है।भगवान राम माउंटआबू में तीन दिनों की नगर परिक्रमा पर निकले है। श्रद्धालु उनके दर्शन कर भक्ति की धारा में डूबकी लगा रहे है।ये नज़ारा माउंटआबू के सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर का है जहां भगवान राम चार दिनों तक शहर की परिक्रमा करते है और ये पूरा उत्सव 3 दिनों तक चलता है। माउंटआबू के सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर में भगवान राम की 5,500 साल पुरानी स्वयंभू मूर्ति है।दुनिया भर में ये रघुनाथ यानि भगवान राम की इकलौती मूर्ति है जहां भगवान राम अकेले है।यहां रघुवर(राम) के साथ न तो उनकी सिया(सीता) और न ही उनके भाई लक्ष्मण की मूर्ति है।

भगवान राम की भव्य ये मूर्ति स्वयंभू मूर्ति है।नक्की झील के किनारे इस मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि ये नक्की झील से निकली थी।भगवान राम यहां बिल्कुल अकेले है।उनके साथ न तो उनकी पत्नी सीता है और न ही उनके छोटे भाई लक्ष्मण।भगवान राम की ये मूर्ति हजारों साल पुरानी है। संगीत की सरिता,नगाड़ों की थाप और भक्तिमय माहौल के बीच भगवान राम की ये सवारी तीन दिनों तक माउंटआबू में परिक्रमा करती है। भगवान राम की स्थापित छोटी मूर्ति पाठोत्सव के मौके पर साल में एक बार पूरे नगर की परिक्रमा तीन दिन तक करती है और माउंटआबू में ये उत्सव 6 दिन तक चलता है।भगवान राम की नगर परिक्रमा की ये परंपरा 400 साल पुरानी है जो अबतक चली आ रही है।श्रद्धालुओं के लिए भगवान राम की ये यात्रा कुछ ऐसी होती है कि भगवान तीन दिनों के लिए साक्षात प्रकट हो गए हो ।इस परिक्रमा में शामिल होने के लिए देश के साथ विदेशों से भी श्रद्धालु आते है, संतो का विशाल जुलूस इस मौके पर उमड़ पड़ता है।श्रद्धालुओं के लिए ये मौका भक्ति के रस में डूब जाने का होता है। भक्ति के इस अनोखे त्यौहार का इंतजार माउंटआबू के बच्चे भी करते है।

भगवान राम की इस स्वयंभू मूर्ति के प्रति लोगों की गहरी आस्था है।यहां आनेवाले श्रद्धालुओं का कहना है कि उन्हें भगवान राम के दर्शन कर काफी सुकून मिलता है।भगवान राम की मूर्ति में श्रद्धालुओं और भक्तों को उनके दिव्य स्वरूप का एहसास होता है। भगवान राम की ये मूर्ति दुनियाभर में इकलौती है।5,500 साल प्राचीन भगवान राम की ये भव्य मूर्ति स्वयंभू मूर्ति है जो माउंटआबू की नक्की झील से निकली है।400 साल पहले जगदगुरु स्वामी रामानांदचार्य ने इस मूर्ति का जीर्णाद्धार कर इसे सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर के रुप में स्थापित किया था।भगवान राम की स्वयंभू मूर्ति रामानंदाचार्य ने स्थापित की और उसके बाद से ये मंदिर सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर के नाम से जाना गया।सर्वेश्वर यानि सभी के ईश्वर,पालनहार भगवान राम है।माउंटआबू में उसी ज़माने से यानि 400 साल पहले से ही भगवान के मंदिर में स्थापित हो जाने की खुशी पाठोत्सव के रुप में मनाने की परंपरा चली आ रही है।

भगवान राम यहां अकेले है। जो इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति अपने मनोबल से हर विपत्तियों का सामना करते हुए जीवन क्षेत्र में विजय प्राप्त कर सकता है। भगवान राम के यहां अकेले ही नहीं बल्कि माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ भी आने के प्रमाण मिलते है।भगवान राम के यहां अकेल और सीता माता के साथ भी आने के प्रमाण मिले है।राम के इस अनोखे उत्सव के मौके पर जगदगुरू शंकराचार्य भी आते है। कई साधु-संतों के अलावा रामपंथ संप्रदाय से जुड़े संत लोग भी इस उत्सव में शरीक होकर भक्ति में डूबकी लगाने आते है। मंदिर के प्रांगण में स्थित ये रामकुंड प्राचीन रामकुंड है। इस रामकुंड का वर्णन स्कंद पुराण में भी है।इस रामकुंड के बारे में ये पौराणिक मान्यता है कि यहां भगवान राम रोज़ सुबह में स्नान किया करते थे।

 

 

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