पर्यटन विभाग का डुप्लीकेट शो, ग्रीष्म समारोह में फिर वही कलाकार और वही कार्यक्रम


| May 20, 2016 |  

माउंट आबू | आज दिनांक 20/05/2016 को पर्यटन विभाग माउंट आबू द्वारा ग्रीष्म समारोह का आगाज़ किया गया, गर्मी के चलते शोभा यात्रा सुभह की जगह शाम 4 बजे पोलो ग्राउंड से निकली, शोभा यात्रा में कुछ नया देखनो को नज़र नहीं आया, मानो ग्रीष्म समारोह एक प्रथा बन गया हो जिसमे हर साल वही कलाकार अपनी समान कला का प्रदर्शन करने आते हो |

1) कलाकार, मीडिया और कार्यकर्ता हटा दे तो शोभा यात्रा की भीड़ न के बराबर

इस साल गर्मी ने माउंट आबू को भी नहीं छोड़ा, और सांय 4 बजे निकली ग्रीष्म समारोह की शोभा यात्रा में भी इसका असर दिखा, क्यूंकि शोभा यात्रा में लोगो की भरपूर कमी दिखी, न पर्यटक न आबू वासी सिर्फ गिनती के लोगो ने ग्रीष्म समारोह की शोभा यात्रा में शिरकत की |

2) प्रचार प्रसार से लाचार रहा ग्रीष्म समारोह

बात करे प्रचार प्रसार की तो गुजरात की बात तो छोड़िये शायद 26 की.मी दूर स्थित आबू रोड के लोगो को भी शायद ही पता होगा की माउंट आबू में ग्रीष्म समारोह चल रहा है, आयोजन कितना भी बड़ा हो या छोटा, आयोजन का प्रचार प्रसार उसको बड़ा बनाता है, लेकिन पर्यटन वीभाग शायद प्रचार प्रसार को इतना आवश्यक नहीं समझते, और इसी के चलते उन्होंने समरोह के प्रचार पर ध्यान देना आवश्यक नहीं समझा |

3) वहि कार्यक्रम वही कलाकार

हर वर्ष की भाती इस वर्ष भी वही सभी कार्यक्रमों का आयोजन होना है, बोट रेस, रस्सा कस्सी, म्यूजिकल चेयर, वॉली बॉल आदि | बात करे कलाकारों की तो वही गुजराती गरबा, भील समाज का लोक नृत्य, राजस्थानी संगीत व मयूर नृत्य, जो की पिछले वर्षो में भी आते रहे है |

4) पीछले वर्ष हुआ सरद महोत्सव भी रहा था फ्लॉप

सरद महोत्सव को एक नया रूप देने की कोशिश में सरकार ने सरद महोत्सव का कॉन्ट्रैक्ट एक इवेंट कंपनी को दिया जिन्होंने विंटेज कार शहर में घुमाकर पर्यटकों को लुभाने ने कोशिश की और सांय में रॉक बैंड बुलाकर कर लोगो का मनोरंजन करने कोशिश की | लेकिन यह इवेंट कंपनी भी पर्यटन को समारोह के माध्यम बढ़ावा देने में नाकाम रही |

5) दिशाहिन पैसा खर्च कर रही सरकार

राजस्थान के ही एक और शहर पुष्कर में विश्व प्रशिद्ध पुष्कर मेला का आयोजन होता है जिसका इंतज़ार दुनिया भर के लोग में रहता है और हर वर्ष हजारो लोग उसमे सम्मलित होते है, और अगर बात करे माउंट आबू में होने वाले ग्रीष्म व सरद समरोह की तो यहा के स्थायी लोगो को भी यह खबर नहीं होती की यह महोत्सव कितनी तारीख को होने है |

6) क्या समरोह के बाद की जाती है मोनिटरिंग

क्या सरकार समारोह के आयोजन के बाद मोनिटरिंग करती है, क्या वो आयोजक कमिटी से ब्युरा लेते है की समारोह से आबू के पर्यटन में कितना इजाफा हुआ, ऐसा एक पर्यटक नहीं होगा जो यह कहे हम माउंट आबू ग्रीष्म समारोह के लिए आये है, क्या हुआ समरोह में कितने पर्यटक आये, क्या क्या आयोजन किये गए क्या नया हुआ, शायद और सभी की तरह सरकार भी माउंट आबू से सोतेला रिश्ता रखती है |

7) क्यों इन समारोह में कोई बड़ा नेता सम्मलित नहीं होता

शायद समारोह का स्तर इतना बड़ा नहीं है की कोई भी बड़ा नेता इन समारोह में सम्मलित हो, वरना माउंट आबू जैसे पर्यटक स्थल पर आने से कोन पीछे हटेगा |

इन बातो पर देना होगा ध्यान

8) हर वर्ष नए कलाकारों और कलाओ को अवसर देने की आवश्यकता

भारत कलाओ और कलाकारों से भरा हुआ है, हर राज्य की अपनी अपनी कलाए है, महाराष्ट्र हो या तमिल नाडू हर राज्य की अपनी मनमोहक कलाए है, उनका नृत्य व कला बाज़ी विश्व प्रशिद्ध होती है | हर वर्ष अलग अलग राज्य से नए कलाकारों को बुलाने की आवश्यकता है, जो की स्थानी लोगो व पर्यटकों में एक माहोल बनाकर रखे की क्या नया होगा इस बार |

9) प्रचार प्रसार को देवे महत्त्व

समारोह के एक हफ्ते पहले से प्रचार प्रसार शुरू हो जाना चाहिये, क्या क्या कार्यक्रम और कब होने है यह खबर न ही पर्यटकों तक बल्कि स्थायी लोगो को भी पता होनी चाहिये, ताकि वह माउंट आबू से दुर रह रहे अपने दोस्तों व परिजनों को समारोह में सम्मलित होने के लिए प्रेरित कर सके | अगर समारोह की जानकारी पर्यटकों तक एक हफ्ते पहले पहुंचा दी जाये तो वह पहले से समारोह में सम्मलित होना का मन बना लेंगे और माउंट आबू में समरोह की वजह से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा |

10) एक नए सेलेब्रिटी को हर वर्ष बुलाया जाए

आज के युवाओ को सेलेब्रिटी के कॉन्सर्ट ख़ासा लुभाते है, सोनू निगम, अरिजीत सिंह, श्रेया घोषाल आदि विश्व प्रसिद्ध कलाकार जब अपना कॉन्सर्ट करते है तो हजारो लोग सम्मलित होते है और उनका कॉन्सर्ट एक राष्ट्रीय स्तर की खबर बन जाती है, माउंट आबू का प्रचार करने के लिए यह एक लाभदायक कोशिश होगी |

11) पर्यटन को बढ़ावा देना हो एक मात्र लक्ष्य

सालो से आयोजित हो रहे यह समारोह निराशा की तरफ जा रहे है, इन समारोह के पीछे का मकसद हमेशा गुमनाम रहता है लगता है जैसे सरकार ने पर्यटन विभाग को होम वर्क दिया हो जिससे उन्हें हर हाल में जैसे तेसे पूरा करना हो | अगर पर्यटन को बढ़ावा देना मकसद बन जाए और मोनिटरिंग की जाई की समारोह से पर्यटन में कितना इजाफ़ा हुआ, और टारगेट दिए जाए की हर वर्ष पर्यटन में बढ़ावा होना अनिवार्य हो, तब जाके कही लगेगा की यह समारोह माउंट आबू के पर्यटन के लिए लाभदायक है |

 

 

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