झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई जैसा साहस आज की वार्ड पंच गैलू बाई में [स्पेशल स्टोरी]


| March 30, 2018 |  

गैलू बाई मूल निवासी मैथीपूरा की है परिवार मैं कुल ६ लोग है खेती इनका मुक्य व्यवसाय है इसके साथ गैलू बाई कुछ सालो से सामाजिक सेवाओ मैं रूचि लेकर अच्छा कर रही है मैथिपुरा गाँव भाटाना गाँव के पास मैं रेवदर तहसिल मैं आता है जोधपुर भाग मैं है और ये गाँव अमिरगढ़ तहसील दक्षिण मैं और दांतीवाडा पंचीम मैं माउंट आबू और आबू रोड पूर्व मैं इस तरह का सुंदर खुदरत से सजा ये गाँव है जहा मुक्य खेती राइडा castor की है और लोग यहाँ खेती के साथ बकरी पालन भी करते है लोग विभिन्न जाती के रहते है और अधिक आदिवासी समुदायक के है .

यह कहानी है वार्ड पंच गेली देवी की। गेली देवी राजस्थान के सिरोही ज़िले के रेवदार ब्लाक की पादर पंचायत की वार्ड पंच हैं। पंचायत के मेथीपुरा गांव की रहने वानी गेली देवी का ताल्लुक आदिवासी समुदाय से है। 2011 की जनसंख्या के अनुसार ज़िले की कुल जनसंख्या 1,036,346 है जिसमें महिलाओं की कुल जनसंख्या 502,115 है। 2011 में ज़िले का साक्षरता दर 55.25 प्रतिशत था जबकि महिला साक्षरता दर 39.73 प्रतिशत था। ज़िले में कुल पांच ब्लाक हैं।

गेली देवी की गिनती ब्लाक के सक्रिय पंचायत सदस्यों में होती है जिन्होंने हमेशा से महिलाओं व बालिकाओं के हित के लिए कार्य किया है। इस बार गेली देवी ने जो कर दिखाया वह एक बड़ा कारनामा है। गेली देवी ने साहस के साथ काम लेते हुए पादर और भटाणा पंचायत की सात अवैध दुकानों को बंद करा दिया। पादर पंचायत में पिछले कई वर्षो से शराब की लत पुरूषों को जकड़े हुए थी जिसकी वजह से महिलाएं शारीरिक हिंसा व मानसिक प्रताड़ना का शिकार हो रही थीं। पिछले कुछ वर्षोें में शराब की लत के चलते कई लोग मौत का शिकार हुए। हद तो तब हो गई जब पंचायत के छोटे-छोटे बच्चे इस लत का शिकार होने लगे। घर की महिलाएं ,बच्चों व पुरूषों के इस लत में पड़ने से काफी परेशान थीं।

इस मामले में गेली देवी ने महिलाओं से बात की और उन्हें समझाया कि हम शराबबंदी के खिलाफ आवाज़ उठाएंगे। ऐसे ही बैठे रहे तो हमारे पूरे परिवार उजड़ जाएंगे। पंचायत की सारी महिलाओं ने इस अभियान में गेली देवी को पूरा सहयोग देने को कहा। महिलाओं ने गेली देवी के नेतृत्व में एकजुट होकर शराब की दुकान के बाहर शंतिपूर्वक प्रदर्शन किया। गेली देवी के साथ इस प्रदर्शन में महिला वार्ड पंचों के अलावा तीन दर्जन से अधिक महिलाएं व स्कूली बच्चे शामिल थे। सभी ने गेेली देवी के नेतृत्व में एकजुट होकर शराब की दुकान को खुलने नहीं दिया। इस पर प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया बल्कि स्थानीय चैकी से पुलिस भेज दी। पुलिस ने महिलाओं के साथ बत्तामीज़ी की। महिलाओं को जब कुछ होता नज़र नहीं आया तो सारी महिलाओं ने गेली देवी के नेतृत्व में ब्लाक के आबकारी विभाग व एसडीएम कार्यालय पहुंचकर शराबबंदी के खिलाफ नारेबाज़ी की और ज्ञापन सौंपे। इस पर आबकारी अधिकारी व एसडीएम ने एक सप्ताह की मोहलत मांगी और कहा कि एक सप्ताह में हम शराब की दुकान बंद करा देंगे। इस पर महिलाओं व वार्ड पंच का कहना था कि यदि एक सप्ताह के भीतर शराब की दुकानें बंद नहीं हुईं तो हम अनिश्चित कालीन धरना देंगे।

एक सप्ताह बीतने के बाद भी प्रशासन के वादे का कुछ नहीं हुआ। अंत में महिलाओं ने परेशान होकर वापस एसडीएम कार्यालय के सामने धरना दिया और कहा कि अब तभी उठएंगे जब शराब की दुकाने मैथीपुरा से हटा दी जाएंगी। महिलाओ की इस जिद को देख एसडीएम, आबकारी थानाधिकारी, एमएलए, तहसीलदार, सांसद स्वय धरना स्थल पर पहुंचे । महिलाओ ने उनसे तीन मांग रखी जिसमें सबसे पहली मांग थी कि मैथीपुरा से शराब की दुकाने हटायी जाएं। दूसरी मांग थी कि भटाणा चैकी प्रभारी को हटाया जाए। आखिरी मांग थी कि शराब की दुकान के पास के होटलों को बंद किया जाए। आमतौर से लोग शराब की दुकान के पास बने होटल में बैठकर शराब पीते हैं।

धरना प्रदर्शन को देखते हुए सांसद ने तुरंत फोन करके पादर और भटाना की 7 अवैध शराब की दुकान बन्द करवायीं। इसके अलावा मैथीपुरा शराब की दुकान के पास चल रहे होटल को बंद करवाया। मैथीपुरा की दुकान को बंद कराने के लिए 15 दिन का समय मांगा क्योंकि वह दुकान वैध है। साथ ही साथ भटाना चैकीप्रभारी को वहां से हटवा दिया।

गेली देवी ने हिम्मत, रणनीति और नीतिगत तरीके से अपनी लडाई लड़ी व सफलता हासिल की। अब गेली देवी मैथीपुरा की दुकान को बंद कराने को लेकर सांसद के ज़रिए दिए गए 15 दिन पूरे होने का इंतेजार कर रही हैं। अभी भी वह समय-समय पर जाकर शराब की दुकानो की जांच करती हंैं। गैलु बाई और उनके साथ इस लड़ाई का हिस्सा बनी महिलाआंे को पंचायत के लोग धन्यवाद देते है कि उनके इस अथक प्रयास से आसपास की अवैध शराब की दुकान बंद हो गयी।

शराब की दुकानें हटाने को लेकर गेली देवी के मन में सिर्फ विचार था। अपने इस विचार को हक़ीकत में बदलने के लिए केली देवी ने सबसे पहले गांव की महिलाओं को एकजुट किया जो महिला होने के नाते उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। इससे उनके अभियान को बल मिला और आखिर मैं वह अपने मकसद में कामयाब हुईं। सच में उन्होंने ‘‘जहां चाह है, वहां राह है’’ की कहावत को सच कर दिखाया। गेली देवी की यह उपलब्धि वास्तव में पुरूष समाज के उन लोगों के लिए एक सीख है जो पुरूष होने के नाते सिर्फ यह समझते हैं कि महिलाओं का दायरा सिर्फ घर की चार दीवारी तक ही सीमित है। वास्तम में स्थानीय शासन में महिला सक्रियता का जीता जागता उदाहरण हैं, गेली देवी।

न्यूज़: रेडियो मधुभन 90.4

 

 

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